हाल में ही द लांसेट (The Lancet) पत्रिका मेड छपी एक रिपोर्ट ने सभी की को चिंता में डाल दिया है। रिपोर्ट में साफ़ साफ़ बताया गया है की भारत में वायु प्रदूषण के कारण हर साल करीब 24 लाख लोगों की मौत होती है। इस चिंताजनक रिपोर्ट के बावजूद देश में हालत यह है की लोग प्रदूषण की तरफ कोई धयान नहीं दे रहे है। देश के 124 शहरों के वातावरण को स्वास्थ्य के लिए खतरनाक पाया गया है। इन 124 शहरों की लिस्ट में झारखण्ड के कई शहरों के नाम शामिल है। जो झारखण्ड राज्य  वन संपदा से परिपूर्ण है और लोगो को ऐसा लगता है कि यहां वायु प्रदूषण की स्थिति उतनी विकट नहीं जितनी की अन्य राज्यों में है। लेकिन हकीकत में स्थिति इस से एक दम विपरीत है। झारखण्ड का धनबाद , रांची, रामगढ़, हजारीबाग, सरायकेला और जमशेदपुर जैसे शहर वायु प्रदूषण का प्रकोप झेल रहे है।

झारखंड के अधिकांश बड़े शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) सौ से ऊपर है. लेकिन हजारीबाग और रामगढ़ जिले में एक्यूआई सौ से अधिक है जो चिंता की बात है। रांची में 151, धनबाद 154, जमशेदपुर 153,डालटनगंज 156, गढ़वा 129, हजारीबाग 135 और देवघर 111 एक्यूआई है। झारखण्ड में प्रदूषण के मुख्य कारण की बात करे तो इस का मुख्य कारण कोयले की खदाने है। जो कोयला धनबाद को धनी बना रहा है, वही बीमारियां भी दे रहा है। धनबाद कोयलांचल में कार्बन के ऑक्साइड, सल्फाइड आदि की मात्र मानक से ज्यादा हैं, जो गंभीर रोग पैदा कर सकते हैं। ओपेन कास्ट माइनिंग धनबाद की हवा में सबसे ज्यादा जहर घोल रहा है,इसके वजह से लोग सांस और स्किन संबंधित गंभीर बीमारियों से पीड़ित होते जा रहे हैं। वही दामोदर नदी की प्रदूषण के कारण  स्वाभाविक प्रवाह की गति कम हो गई है। फ्लोरा-फौना प्रभावित हो रहे हैं और पानी पीने लायक नहीं है।

जिले में पर्यावरण की खराब स्थिति के लिए तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या भी है। बड़ी आबादी को शहर में बसाने या रखने के लिए अब तक कोई प्लांड स्किम नही है .वर्तमान में जिले के आबादी 30 लाख से अधिक है, यह शहर अपने देश मे सबसे तेजी से विकास करने वाले शहरों में शामिल है। वायु प्रदूषण की वजह से फेफड़े से संबंधित कई बीमारी स्थानीय लोगों को है. यहां तक की बच्चों में भी लगातार सर्दी और खांसी की समस्या बनी रहती है. वायु प्रदूषण का प्रभाव इतना ज्यादा है कि लोगों की आयु भी कम होती जा रही है। बारिश के मौसम में वायु प्रदूषण का स्तर कुछ कम रहता है, लेकिन समस्या गंभीर है और यह दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

हाल में ही एक रिपोर्ट के अनुसार भारत को दक्षिण एशियाई देशों में सबसे प्रदूषित देशों में शामिल किया है जो की चिंता का विषय है। वायु प्रदूषण के शिकार सबसे ज्यादा गरीब तबके के लोग होते हैं। प्रदूषण को रोकने के लिए आम जान और सर्कार को मिल कर के काम करना होगा।

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