ऊर्जा के क्षेत्र में भारत बड़ा कदम उठाने जा रहा है। भारत का सबसे बड़ा ऊर्जा उत्पादक अब देशभर में बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की योजना बना रहा है। प्रधानमंत्री मोदी देश में परमाणु ऊर्जा से बिजली उत्पादन पर बल दे रहे है। प्रधानमंत्री मोदी ने लक्ष्य रखा है कि अगले दशक तक भारत में परमाणु ऊर्जा के प्लांट तीन गुने हो जाएं ताकि क्लीन एनर्जी जनरेशन में मदद मिल सके। यह जीरो कार्बन 2070 की ओर एक कदम हो सकता है। अब लगता है की उनका यह सपना धीरे धीरे बल पकड़ रहा है। NTPC लिमिटिड और न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन साझे तौर पर मिलकर सरकार के साथ 700 मेगावाट के रिएक्टर स्थापित करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। अब तक एनटीपीसी लिमिटेड बिजली उत्पादन के लिए सबसे ज्यादा कोयला पर ही भरोसा करता था।
न्यूक्लियर पावर ही बिजली के उत्पादन का सबसे अच्छा तरीका है जो कि जीरो कार्बन की ओर भारत को ले जा सकता है। ज्यादा से ज्यादा प्राइवेट कंपनियों को भी सरकार के साथ आना चाहिए और इस दिशा में काम करना चाहिए। अभी भारत के पास 6.8 गीगावॉट का न्यूक्लियर पावर प्लांट है जो कि केवल 1.7 फीसदी बिजली का ही उत्पादन करता है। दिल्ली का एनटीपीसी 92 फीसदी कोयले से ही चलता है लेकिन लक्ष्य है कि इसे 2032 तक आधा कर देना है।
भारत ने साल 2070 तक जीरो कार्बन इमिशन का लक्ष्य रखा है. भारत में फिलहाल 70% बिजली कोयले से बनती है और 3 प्रतिशत परमाणु स्त्रोत से. भारत ने अपनी परमाणु इंडस्ट्री के दरवाजे न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड से आगे बढ़ कर अब राज्य नियंत्रित कंपनियों के लिए भी खोल दिए हैं। भारत 2008 में अमेरिका के साथ परमाणु समझौता करने के बाद लंबे समय से झेल रहे प्रतिबंधों से बाहर निकला था. इस समझौते के अनुसार, तीन दशक बाद भारत परमाणु ऊर्जा से जुड़ी विदेशी तकनीक, नागरिक कार्यक्रम के लिए कच्चे पदार्थ तक पहुंच बना सकता था. लेकिन देश के परमाणु जिम्मेदारी कानून के चलते इसे लेकर प्रतिरोध रहा.