नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) इन दिनों सुर्खियों में है। ईडी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस सांसद व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से पूछताछ कर रही है। आज ED की पूछताछ पूरी हो गयी है। हालाँकि उन्हें फिर से पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।
वहीं इस पूछताछ का विरोध करने के लिए कांग्रेस एक बार फिर सड़क से लेकर संसद तक प्रदर्शन कर रही है। दिल्ली में अकबर रोड़ पर कांग्रेस मुख्यालय के करीब दिल्ली पुलिस ने आसपास के क्षेत्र में बैरिकेड्स लगाए हैं और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर ‘ईडी’ का शिकंजा कसता जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष से तीन बार पूछताछ हो चुकी है। इससे पहले राहुल गांधी को भी कई दिन तक ईडी के सवालों की बौछार झेलनी पड़ी थी। विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार, जांच एजेंसियों को एक खास मकसद से उनके पीछे छोड़ रही है। विरोधी दलों के नेताओं को निशाने पर लेना, यह जांच एजेंसियों का दुरुपयोग है।
जानिए क्या है नेशनल हेराल्ड का पूरा मामला
घटना की शुरुआत होती है 1938 से, जब कांग्रेस पार्टी ने एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (AJL) बनाई थी. इसी के तहत 1939 में नेशनल हेराल्ड अखबार निकालने की शुरुआत हुई. आगे चलकर AJL पर 90 करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो गया. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने इस कर्ज को खत्म करने के लिए यंग इंडिया लिमिटेड नाम की एक कंपनी बनाई. इस कंपनी में राहुल और सोनिया दोनों की 38-38% की हिस्सेदारी थी. AJL ने यंग इंडिया कंपनी को अपने 9 करोड़ शेयर दिए. वादा हुआ कि इस शेयर के बदले में यंग इंडिया AJL के कर्ज का हिसाब-किताब करेगी. यानी कर्जा चुकाएगी. लेकिन शेयर में हिस्सेदारी बढ़ने की वजह से AJL कंपनी पर यंग इंडिया का मालिकाना हक़ हो गया.
साल 2008 में AJL के सारे पब्लिकेशंस बंद कर दिए गए. तब कंपनी पर 90 करोड़ रुपये का कर्ज था. कांग्रेस ने AJL के पूरे कर्ज माफ कर दिए. बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि गांधी परिवार हेराल्ड की संपत्तियों का अवैध तरीके से उपयोग कर रहा है.
इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नाडिस के अलावा सुमन दूबे और सैम पित्रोदा भी आरोपी है. इन आरोपियों में से मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस की साल 2020 और 2021 में मौत हो चुकी है। बाकी बचे सभी आरोपियों को दिसंबर 2015 में इस मामले में निचली अदालत से जमानत मिली हुई है. साल 2014 में प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले की मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच शुरू की.