गुजरात, राजस्थान, एमपी, यूपी, समेत कई राज्यों में लम्पी वायरस पहले ही कहर बरपा रहा है। देश के कई राज्यों में कहर बरपा रहे लंपी वायरस (Lumpy Virus) ने अब झारखंड (Jharkhand) में भी दस्तक दे दी है। राज्य के दो जिलों रांची और देवघर में इसके संदिग्ध मामले सामने आए हैं। देवघर के पालाजोरी और चतरा के बाद रांची के कई प्रखंडों में लंपी वायरस से ग्रसित मवेशी मिले हैं. रांची के नगड़ी, चान्हो और देवघर के पालाजोरी में लंपी वायरस से संक्रमित संदिग्ध गाय व बछड़े मिले हैं। झारखण्ड में लम्पी वायरस की खबर ने राज्य के पशुपालको के बीच में हड़कंप मचा दिया है। लंपी वायरस से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की गई है. ऐतिहातन मवेशियों की आवाजाही पर रोक लगी दी गई है।
लम्पी वायरस को रोकने के लिए जो भी एतियात बरतने की जरुरत है वो सभी एहतियाती उपाय करें। इस वायरस को प्रदेश में और जगह फैलने से रोकने के लिए पशुओं की आवाजाही पर भी रोक लगायी गयी है। लम्पी LSD विषाणु से होने वाला संक्रामक बीमारी है, जो मुख्यतः गाय और भैस प्रजाति के पशुओं में होता है. मुख्य रूप से संक्रमित मक्खियों, मच्छरों, चमोकन के काटने से होने वाली इस बीमारी में संक्रमित पशुओं की त्वचा पर गांठ बन जाता है और बाद में पककर जख्म का रूप ले लेता है. इसमें पशुओं में बुखार भी एक लक्षण है. कैपरीपोक्स नाम के वायरस के कारण होने वाली इस बीमारी में मोर्टेलिटी 5 से 10 फीसदी तक है। संक्रमित होने के दो तीन के अंदर पशु को हल्का बुखार आता है. इसके बाद शरीर पर गांठदार दाने निकल आते हैं. कुछ गांठ घाव में बदल जाते हैं. संक्रमित मवेशी की नाक से स्राव होता है, मुंह से लार आता है और दूध कम हो जाता है. गर्भावस्था में संक्रमित होने पर मवेशियों का गर्भपात हो जाता है. समय पर इलाज और सावधानी बरतने से सामान्य तौर पर 15 से 20 दिनों में ये बीमारी ठीक हो जाती है।
राज्य में लम्पी वायरस के लिए टोल फ्री नंबर (18003097711) जारी कर दिया है जिस से की पशुपालको को इस बीमारी से लड़ने में सहायता मिल सके। पशुपालकों को लंपी वायरस की पहचान कैसे की जाए, इसकी भी जानकारी दी जाएगी। इस नंबर पर आप सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक कॉल कर इसके संबंध में जानकारी ले सकते है।
कैपरी पॉक्स वायरस को लंपी वायरस के तौर पर जाना जाता है. इसे ढेलेदार त्वचा रोग वायरस भी कहते हैं. इस वायरस की शुरुआत पॉक्सविरिडाए डबल स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस परिवार से होती है. पॉक्सविरिडाए को पॉक्स वायरस भी कहते हैं. इसके प्राकृतिक मेजबान रीढ़ और बिना रीढ़ वाले जंतु होते हैं. इस परिवार में वर्तमान में 83 प्रजातियां हैं जो 22 पीढ़ी और 2 उप-परिवारों में विभाजित हैं. इस परिवार से जुड़ी बीमारियों में स्मॉलपॉक्स यानी चेचक भी शामिल है।