भारतवासियों के लिए गौरव का क्षण है क्योंकि हम उसे पछाड़ कर आगे निकले हैं जिसनें सदियों तक हमें गुलाम बना रखा था। यूरोप में सुस्ती के बीच घरेलू अर्थव्यवस्था की तेज ग्रोथ से भारत टॉप 5 इकोनॉमी में शामिल हो गया है। सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है और ब्रिटेन अब छठे पायदान पर है। भारत ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अब इस लिस्ट में अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के साथ भारत का भी नाम लिखा जाएगा.। आर्थिक संकटों के बीच भारत ने चुनौतियों का ज्यादा बेहतर तरीके से सामना किया है. वहीं ब्रिटेन को उसकी सुस्ती का नुकसान हुआ है। भारत की करंसी पाउंड के मुकाबले दमदार साबित हुई है. वहीं दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज कर रही है, जहां यूके की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ 1 प्रतिशत से भी नीचे है. इन वजहों से भारत ने तेज ग्रोथ बनाए रखी लेकिन यूके भारत की तरह प्रदर्शन नहीं कर सका और भारत से पिछड़ गया।

इस सामान्य पूरा विश्व महंगाई, करेंसी में गिरावट, महंगे कच्चे तेल, कमोडिटी कीमतों से जूझ रहा  है और भारत भी इस सब चुनौतियां का सामना कर रहा है।  दुनिया भर में भारतीयों की स्थिति और मजबूत होगी भले ही निर्यात के मौके हों या फिर पासपोर्ट की ताकत। विश्व की टॉप ५ अर्थव्यवस्था में शामिल होने से  विदेशी निवेशकों का भारत पर भरोसा और बढ़ जाएगा। टॉप 5 में पहुंचाना भारतीय सरकार के उस दावे को और मजबूती देगा कि भारत निवेशकों के सबसे आकर्षक बाजार है जहां वो तेजी के साथ विकास कर सकते हैं। अगर विदेशी निवेशक बड़ी संख्या में भारत में निवेश बढ़ाते हैं और एफडीआई बढ़ता है तो इससे न केवल देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे साथ ही लोगों की आय और अपना काम शुरू करने वालों के लिए मौके भी बढ़ेंगे. यानि साफ है कि भारत का टॉप 5 में शामिल होना आम भारतीयों के लिए नए अवसर ला सकता है।

 एक दशक पहले, भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 11वें स्थान पर था, जबकि ब्रिटेन 5वें स्थान पर था. वही अब भारत ६ स्थान आगे बढ़ कर विश्व की ५ वे स्थान पर आ गया है। भारत ने पिछले 10 सालों में शानदार आर्थिक विकास दर हासिल की है।  आजादी के बाद से 75 वर्षों में, भारत की प्रति व्यक्ति आय 6 गुना बढ़ गई है। टॉप ५ अर्थव्यस्थाओ में शामिल होना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।

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