भारत में 70 साल बाद चीते आ रहे हैं. 17 सितंबर को नामीबिया से आठ चीते भारत लाए जा रहे हैं. ये चीते विमान के जरिए मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) लाए जाएंगे. खास बात ये है कि नामिबिया से भारत तक कि यात्रा के दौरान हवा में रहते हुए ये चीते खाली पेट लाए जाऐंगे। चीतों के भारत आने की तैयारियां नामीबिया में अंतिम दौर में हैं। सभी आठ अफ्रीकी चीतों को एक खास विमान से भारत लाया जा रहा है। विमान आज नामीबिया से भारत के लिए उड़ान भरेगा और कल ग्वालियर में लैंड करेगा। इन चीतों को लेने के लिए भारत से खास विमान नामीबिया पाउच चूका है। भारत सरकार की तरफ से आठ चीतों को लेने के लिए भेजा खास विमान नामीबिया के हुशिया कोटाको इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंच चुका है। यह एक बोईंग 747 विमान है, जिसे चीतों को लाने के लिए मॉडिफाई किया गया है। बोईंग 747 जंबोजेट में पिंजरे को रखने की व्यवस्था की गई है। इस विमान में चीतों के अलावा डॉक्टर और एक्सपर्ट भी होंगे।
ये विमान आज रात नामीबिया से उड़ान भरकर 16 घंटे का सफर तय करेगा और शनिवार को सीधे ग्वालियर पहुंचेगा. इस खास विमान को बाहर और अंदर से इस तरह से बनाया गया है कि उसमें पिंजरों को आसानी से रखा जा सके. चीतों को खाली पेट भारत लाया जाएगा क्योंकि विशेषज्ञों का कहना है कि शिफ्टिंग के दौरान जानवर का पेट खाली होना चाहिए. साथ ही उड़ान के दौरान पशु चिकित्सक चीतों पर नजर बनाए रखेंगे।
भारत में चीता के आगमन को लेकर उत्साह काफी है। वहीं, सरकार की तरफ से इसके जश्न में कोई कमी नहीं की गई है। भारत से जो कार्गो विमान चीतों को लाने गया है, उसे खास तरीके से डिजाइन किया गया है। विमान के अगले हिस्से पर चीते का पेंटिंग किया गया है। भारत में करीब 70 साल बाद लोगों को चीता देखने को मिलेगा। देशवासी इस ऐतिहासिक क्षण का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका से 5 मादा और तीन नर चीते भारत लाए जा रहे हैं। जिनकी तस्वीर भी सामने आ चुकी है। चीतों की उम्र ढाई से साढ़े पांच साल के बीच है।
कभी भारत चीतों का गढ़ माना जाता था। इनकी संख्या इतनी थी कि चीतों का शिकार करना राजघरानों का शौक हो गया था। लेकिन राजघरानों की इस शौक की वजह से धीरे-धीरे चीतों की प्रजाति यहां से लुप्त हो गई।