झारखंड में अंकिता के साथ जो भी हुआ, बहुत दुखद है। इससे भी ज्यादा दुखद अतिशय सहिष्णुता है। समाज में इस तरह की घटना काफी दुःखपूर्वक है और विचलित करने वाली है। झारखंड के दुमका में हुई हाल की घटनाओं से कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं. खासकर महिलाओं को अपराधी लगातार निशाना बना रहे हैं. ताजा घटना दुमका के जरूवाडीह मुहल्ले की  है, जहां एक सरफिरा प्रेमी शाहरुख हुसैन ने अंकिता सिंह नामक युवती पर सोते में खिड़की से पेट्रोल डाल कर आग लगा दी. जली अंकिता को गंभीर अवस्था में फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जहां इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई। आज झारखण्ड की सरकार की कानूनी व्यवस्था को देखते हुए लगता है की झारखंड में अफगानिस्तान से भी ज्यादा आराजकता है।

झारखण्ड में इस तरह की हत्या कांड को देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य में कानून का राज नहीं रह गया है और कानून तोड़ने वालों में कानून का जरा भी भय नहीं रह गया है। यह जघन्य कांड है। इस पूरी प्रक्रिया में पुलिस की कार्रवाई भी कई सवाल खड़े कर रही है। अंकिता हत्याकांड की जांच कर रहे एसडीपीओ नूर मुस्तफा की भूमिका भी काफी संदेह जनक है। उन्होंने इस हत्याकांड के मुख आरोपी शाहरुख को बचाने की कोशिस करि है। 

दरअसल, दुमका के नगर थाना क्षेत्र के जरूवाडीह का रहने वाला शाहरुख हुसैन नाम के  युवक की मोहल्ले के हिन्दू लड़की अंकिता सिंह से पिछले कुछ महीनों से जान पहचान हुई थी. अंकिता 12 वीं की छात्रा थी और स्कूल जाते आते शाहरुख से मुलाकात होती थी. पिछले कुछ दिनों से शाहरुख उसे प्रपोज कर रहा था, लेकिन अंकिता उसे नजरअंदाज कर रही थी. शाहरुख को उसकी बेरुखी नागवार गुजरी और उसने इसका अंजाम भुगतने की धमकी अंकिता को दी थी.

धमकी को हकीकत तब बदल गई, जब सुबह चार बजे शाहरुख  पेट्रोल की बोतल लेकर अंकिता के घर के पीछे उस खिड़की के पास पहुंचा, जहां अंकिता सोती थी. खुली खिड़की से उसने सोई हुई अंकिता पर पेट्रोल उड़ेल कर माचिस जलाकर आग के हवाले कर दिया और वहीं खड़े होकर आग के लपटों में घिरी चीखती चिल्लाती अंकिता को देखता रहा. आग के लपटों में घिरी अंकिता दरवाजे खोल बाहर भागी. घर में मौजूद परिवार के लोग उसकी चीख सुनकर जग गए और किसी तरह आग को बुझाया, लेकिन तब तक वह काफी जल चुकी थी. अंकिता के घरवालों ने खिड़की की आग बुझाने के दौरान शाहरुख को वहीं खड़े देखा. आस पड़ोस के लोग भी आवाज सुन कर वहां पहुंचने लगे, तो पकड़े जाने के डर से आरोपी शाहरुख वहां से भाग खड़ा हुआ.

इस पुरे हत्या कांड को देखते हुए यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है की झारखण्ड में अपराधियों का मनोबल कितना बढ़ा हुआ है।इतना मनोबल यदि अपराधियों का बढ़ा हुआ हो तो कभी कभी लगता है कि लोकतंत्र का क्या मतलब है, सांसद होने का क्या मतलब है, पार्टी पॉलिटिक्स का क्या मतलब है।

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