चीता दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर है। 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाला चीता देश में 74 साल पहले ही विलुप्त हो चुके है। सरकार ने साल 1952 में देश में चीतों को विल्पुत घोषित कर दिया था। लेकिन 7 दशको से ज्यादा विलुप्त हुए चीते एक बार फिर से देश में वापस आ रहे है। मोदी सरकार की पहल पर भारत और नमीबिया के बीच 8 चीतों को लेकर करार हुआ है. इनमें 4 नर और 4 मादा हैं. ये चीते 15 अगस्त से पहले भारत आ जाएंगे. इन्हें मध्य प्रदेश कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में रखा जाएगा. । ये चीते 15 अगस्त से पहले भारत आ जाएंगे। धरती पर सबसे तेज़ भागने वाला जीव भारत में इंसानों की वजह से जंगलों से गायब हो गए थे।

कूनो-पालपुर वन्यजीव अभयारण्य  :  देश की पहली चीता सेंचुरी

कूनो-पालपुर वन्यजीव अभयारण्य को 2018 में कूनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्दान बनाया गया. यहीं देश की पहली चीता सेंचुरी बनेगी. नामीबिया से लाए जा रहे चार नर और चार मादा चीतों को यहां रखा जाएगा. वन विभाग के ग्राउंड स्टाफ़ चीतों के शिकार के लिए प्राकृतिक शिकार की भी व्यवस्था कर रहे हैं. कूनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्दान के आस-पास पहले हज़ारों की संख्या में चीते पाए जाते थे।

ये सभी चीते राजा-महाराजा, ब्रिटिश साम्राज्य के शौकिया खेलों की भेंट चढ़ गए. इनकी संख्या इतनी घट गई की आज़ादी के सिर्फ़ 5 साल बाद ही इन्हें जंगलों से विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

चीते को खतरे

सबसे तेज दौड़ने वाले जीव होने के बावजूद चीते को कई तरह के खतरो का सामना करना पड़ता है। चीतों को निमन खतरों का सामना करना पड़ता है।

  • जलवायु परिवर्तन और बढ़ती मानव जनसंख्या ने इन समस्याओं को और जटिल बना दिया है।
  • मानव-वन्यजीव संघर्ष, आवास की क्षति और शिकार की अनुपलब्धता एवं अवैध तस्करी।
  • वनों की कटाई और कृषि के चलते वन भूमि एवं चीता आवासों में कमी आई है।

इन खतरों की वजह से इसकी प्रजाति पर  काफी बुरा प्रभाव पड़ता है जिसे ये विलुप्ति की कगार पर पहुंच जाते है। हलाकि सरकार इनके संरक्षण के लिए प्रयासरत है।

भारत द्वारा संरक्षण के प्रयास:

  • भारतीय वन्यजीव संस्थान ने सात साल पहले चीता संरक्षण के लिये 260 करोड़ रुपए की लागत से पुन: पुनर्वास परियोजना तैयार की थी।
  • यह विश्व की पहली अंतर-महाद्वीपीय चीता स्थानांतरण परियोजना हो सकती है।
  • पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की 19वीं बैठक में ‘भारत में चीते की पुनः वापसी हेतु कार्ययोजना’ जारी की थी।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने अगले 5 वर्षों के भीतर नामीबिया से 50 अफ्रीकी चीते लाने का फैसला किया है।

दुनिया में सिर्फ़ 7000 चीते हैं

इंसानी गतिविधियों की वजह से चीतों की संख्या दुनियाभर में बहुत कम हो गई है।  एक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में अब सिर्फ 7000 चीते हैं और यह वल्नरेबल प्रजाति में आते है। इनका नाम  रेड लिस्ट में दर्ज है।

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