कुछ वर्ष पहले तक लोगो के लिए  जलवायु परिवर्तन सिर्फ एक वैज्ञानिक विषय था। हम में से ज्यादतर लोग ये ही मानते थे की “जलवायु परिवर्तन संकट “सिर्फ वैज्ञानिक मानते या कहते है। लेकिन वास्तविक रूप से  जलवायु परिवर्तन मानवता के सामने एक गंभीर विषय है।  वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन हमारे जीवन के विविध आयामों को प्रभावित कर रहा है। आज भी आमजन जलवायु परिवर्तन की समस्या और उस के प्रभावों से बेखबर है। आमजन इस बात को समझ ही नहीं पाता की सूखा, बाढ़, गर्मी-सर्दी की निरंतर बढ़ती घटनाएं जलवायु परिवर्तन के कारण ही घट रही है। और इन सब का सीधा असर मानव जीवन पर हो रहा है।

आज दुनिया के हरेक क्षेत्र में जलवायु में अंतर देखा जा रहा है और वैश्विक स्तर पर भी जलवायु में बहुत सारे परिवर्तन देखे जा रहे हैं। इसमें से अधिकतर प्रभाव स्पष्ट हैं और अपरिवर्तनीय भी, और दूसरे परिवर्तन लगातार होते जा रहे हैं। अगर इस पर ग़ौर नहीं किया गया और इसे यूं ही छोड़ दिया गया तो आने वाले समय में तापमान इस क़दर बढ़ जाएगा कि मानव जीवन पर संकट आ सकता है | प्राकृतिक आपदाओं जैसे की सूखा, बाढ़, समुंद्री जल स्तर का बढ़ना का सामना करना पड़ सकता है और इन के फलस्वरूप कई प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं।  जितनी तेज़ी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है उसके लिए मानव-क्रियाएं सर्वोपरि दोषी हैं।  घरेलू कामों, कारखानों और परिचालन के लिए मानव तेल, गैस और कोयले का इस्तेमाल करते हैं जिसकी वजह से जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। अगर हम जलवायु परिवर्तन के बुरे परिणामों से बचना चाहते हैं तो हमें अपने क्रिया-कलापों पर ध्यान देते हुए तापमान वृद्धि के कारकों को नियंत्रित करने के बारे में ठोस क़दम उठाने चाहिए।

कितना महत्वपूर्ण है कि हम इससे तुरंत निपटें?


भयानक सच्चाई यह है कि जलवायु संकट एक अस्तित्वगत संकट है।  जलवायु संकट से मानव प्रजाति को खतरा है. हम जलवायु संकट पैदा करने के लिए जिम्मेदार हैं, मानवीय गतिविधियों ने तापमान में वृद्धि की है और अब हम जो बदलाव देख रहे हैं – जंगल की आग, बाढ़, सूखा, चक्रवात, तूफान, धूल भरी आंधी की तीव्रता और आवृत्ति पैदा कर रहे हैं. वायु प्रदूषण कैसे समस्याओं को बढ़ा देता है। हमारी पिछली पीढ़ी ने जलवायु परिवर्तन को लेकर कुछ कदम उठाये थे लेकिन उनपर कितना अमल करा यह कह पाना मुश्किल है। वर्तमान समय में जो पीढ़ी इस जलवायु परिवर्तन में पैदा हो रही है उसे इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

मानव समाज के आगे यह एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इस चुनौती से निपटने के लिए कुछ संभावित समाधान भी हैं.

सरकारी योजनाए


जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत  भी अनेक प्रयास कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि 2070 तक, भारत  ‘शुद्ध शून्य’ के लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा। भारत सरकार ने अपनी रेलवे प्रणाली को  2030 तक ‘नेट जीरो’ बनाने का लक्ष्य रखा है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए राष्ट्रीय एवं  स्थानीय स्तर पर भी योजनाएं बनायीं गयी है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए  सरकार हर बार बजट में से एक बड़ी राशि खर्च करती है।

 

निजी स्तर पर आप क्या कर सकते हैं-


प्रशासन अपने स्तर पर जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अनेक योजनाए बनती है। लेकिन एक जिमेदार नागरिक होने के नाते आप भी अपनी तरफ से इस प्रयास का हिस्सा बन सकते हैं. हमारे छोटे-छोटे प्रयास जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में उपयोगी साबित हो सकते हैं. जैसे – 

  • ऊर्जा बचाने वाले उपकरणों का इस्तेमाल करें
  • अधिक से अधिक पेड़ लगाए
  • बच्चो को पर्यावरण और पेड़ो का महत्व समझाए
  • प्लास्टिक का उपयोग बंद करे
  • पेड़ो को कटने से रोके

 

एकजुट होकर करना होगा काम


जलवायु परिवर्तन के कारण हमे भयंकर परिणामो का सामना करना पड़ सकता है जैसे की बाढ़, सूखा या फिर निरंतर वनो की कटाई की वजह से हरेभरे स्थान का रेगिस्तान में परिवर्तित होना। हालाँकि हमारे पास अभी भी समय है। अगर हम सब एकजुट होकर के जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए मुहीम छोड़ दे तो आने वाले कुछ सालो में इस संकट को काम किया जा सकता है। इस के लिए हमने जयादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे और उन का संरक्षण करना होगा। इस के साथ ही हमे वनो की कटाई पर भी रोक लगनी होगी। हमे इस बात पर भी विशेष ध्यान देना होगा की हम अपने आस पास की नदी, तालाब या अन्य जलस्त्रो को प्रदूषित न करे। आज मानव द्वारा निर्मित कचरे से हमारे जलस्रोत इतने प्रदूषित हो गए है की उनमे जलजीवन समाप्त हो रहा है। प्रशासन ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए विभिन्न योजनाए शुरू की है। लेकिन प्रशासन के साथ जान मानव को भी अपने स्तर पर वृक्ष लगाने होंगे। और एक दूसरे को पर्यावरण को बचने के लिए जागरूक करना होगा , तभी हम सब इस संकट से उभर सकते है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.